Indian National Flag related facts : आइये जानते है भारतीय राष्ट्रीय ध्वज से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी जो कि एक भारतीय नागरिक होने के नाते आप सभी को जानना चाहिए | साथ ही इनसे सम्बंधित सभी उपयोगी प्रश्न जो आपके परीक्षा में पूछे जा सकते है |
Indian National Flag related facts : History
भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन के साथ ही राष्ट्रीय ध्वज का भी स्वरुप समय समय पर बदलता रहा | 20 वी. सदी की शुरुआत से ही भारत में आज़ादी के लिए होने वाले आन्दोलनों में लगातार तेज़ी आने लगी |देश के हर हिस्से में वहा के स्थानीय लोगो द्वारा अपने अपने तरीके से आन्दोलन चलाये जा रहे थे |
कही शांति प्रिय ढंग से तो कही उग्र तरीके से अंग्रेजो का विरोध हो रहा था | ऐसे में जरुरत थी कुछ ऐसे उपाय की जो यह बताये की सारे भारत वासियों की एक मांग है अंग्रेजो से आजादी की जिसको दर्शाने में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की महत्वपूर्ण भूमिका रही | जब हम इन प्रतिको को आन्दोलनों में शामिल करते है तो ये हमारी एकता को बताता है |
भारत में राष्ट्रीय ध्वज उस समय की चल रही घटनाओ से प्रेरित होता रहा और इसका रूप भी बदलता रहा | वैसे तो कई बार झंडे का रूप बदला गया परन्तु विशेष रूप से चार बार 1906, 1921, 1931, 1947 में हुए बदलावों का विशेष महत्व है |
राष्ट्रीय ध्वज का महत्व | Importance of National Flag of a Country
एक देश के लिए राष्ट्रीय ध्वज का महत्व अत्यधिक होता है, क्योंकि यह एक संगठित समाज की पहचान और एकता की प्रतीक होता है। ध्वज न केवल रंगों और डिज़ाइन का संयोजन होता है, बल्कि यह उस देश की सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक महत्व और राष्ट्रीय विचारधारा को प्रकट करता है।
राष्ट्रीय ध्वज द्वारा एक देश की विशेषता और पहचान का संकेत मिलता है। यह उस देश की एकता, सहमति और सामाजिक समरसता को दर्शाता है। ध्वज का फहराना उस देश की विशेषता और गरिमा को प्रकट करता है और उसकी स्वतंत्रता और साहस की कहानी को सुनाता है।
राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण और अवरोहण समारोह राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूती से महसूस कराता है। जब यह ध्वज बड़े समारोहों और खास अवसरों पर लहराता है, तो लोग एक होकर उस देश के प्रति अपनी वफादारी और स्नेहभावना को दिखाते हैं। युवा पीढ़ियों को उनके देश के प्रति आदर्शों और मूल्यों की प्रेरणा प्रदान करता है।
First Indian National Flag :
1906 में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण हुआ था। इस समय भारत स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हो चुकी थी और देशभक्त समाज ने एक सामान्य प्रतीक की तलाश में था जो उनकी एकता और स्वतंत्रता की भावना को प्रकट करता। सर्व प्रथम 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बगान चौक (ग्रीन पार्क ) में यह भारतीय ध्वज फहराया गया |
1906 में फहराए गए इस झंडे में तीन अलग अलग रंग की पट्टिया थी | सबसे उपर की पट्टी हरे रंग की थी जिसमे 8 कमल के फूल बने हुए थे जो उस वक्त भारत के 8 राज्यों को दर्शाती है | साथ ही हरा रंग विकास और उन्नति के प्रतीक दर्शाता है | बीच की पट्टी पीले रंग की है जिस पर नीले रंग से वन्दे मातरम लिखा हुआ था | अंतिम पट्टी लाल रंग की है जिस पर अर्ध चंद्रमा और सूर्य बने हुए थे |
इस झंडे में हरा रंग इस्लाम को, पीला रंग हिन्दू धर्म और लाल रंग बोद्ध धर्म को बताता है |
जबकि 22 अगस्त 1907 को मैडम भिकाजी कामा द्वारा जर्मनी (बर्लिन ) के स्टटगार्ट में भारतीय ध्वज फहराया गया था | विदेशी धरती पर फहराए जाने वाला यह पहला भारतीय झंडा था | वैसे यह ध्वज पहले झंडे के सम्मान ही था बस उपर की पट्टी पर केसरिया रंग कर दिया गया था जिस पर 7 सितारे सप्त ऋषि को दर्शाते थे और एक कमल मन जाता है | अंतिम पट्टी पर हरा रंग होता था | चुकी मेडम भिकाजी एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और उस वक्त की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्य रही थी इसलिए यह ध्वज को सभी ने अपनाया |
1906 में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण होने से देशभक्त समुदाय का मोर्चा और भी मजबूत हुआ और यह एक महत्वपूर्ण प्रतीक बन गया जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा देने वाला हुआ।
National Flag in 1917:
1917 में फहराए गए इस झंडे का स्वरुप बाकी सभी झंडो से अलग देखा जाता है | इस भारतीय ध्वज को डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक द्वारा होम रूल मूवमेंट के दौरान अपनाया गया था | इस ध्वज में लाल हरे रंग की पट्टिया थी, उपर की तरफ यूनियन जैक था, एक चाँद सितारा और सप्त ऋषि मंडल था |
Indian National Flag in 1921:
1921 में विजयवाड़ा में आयोजित कांग्रेस कमीटी की बैठक में एक युवक ने महात्मा गाँधी जी को यह ध्वज दिखाया था | इस ध्वज में दो पट्टिया थी जिसमे हरा रंग इस्लाम और लाल रंग हिन्दू धर्म को दर्शाते थे|
जिसमे महात्मा गाँधी जी में सुझाव के बाद सफ़ेद पट्टी को जोड़ा गया था, यह सफ़ेद रंग भारत में मोजूद अलग अलग धर्मो के प्रतिक के रूप में माना जाता था | इस ध्वज में बीच की पट्टी पर चरखा था जो राष्ट्र की प्रगति के प्रतिक के रूप में दर्शाया गया था |
Indian National Flag in 1931:
1931 में हुई कांग्रेस कमीटी की बैठक में अहम् फैसले लिए गए | इस सभा में भारतीय ध्वज का रूप बदल ही गया | इस बार इस भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में उपर की पट्टी पर केसरिया रंग, बीच की पट्टी पर सफ़ेद रंग, और अंतिम पट्टी पर हरा रंग था | इस ध्वज में सफ़ेद पट्टी पर चरखा बना हुआ था यह चरखा भारत राष्ट्र की प्रगति और उस वक्त चल रहे स्वदेशी आन्दोलन के प्रतिक के रूप में जाना जाता था |
Indian National Flag in 1947 :
वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का जो रूप है उसे 1947 में अपनाया गया था | हालाँकि इस ध्वज का डिजाईन 1916 में लेखक और भू भोतिक्विद पिंगाली वेंकेया ने देश की एक जुटता को बढावा देने के लिए तेयार किया था |
श्री पिंगली वेंकेया ने 1916 से 1921 तक विश्व के सभी ध्वजों का गहन अध्य्यन किया था उसके बाद इस ध्वज को तेयार किया गया था |
वर्तमान भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में केसरिया रंग त्याग और साहस का प्रतिक है साथ ही यह केसरिया रंग हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान को दर्शाता है|
राष्ट्रीय ध्वज में सफ़ेद रंग है, जो शुद्धता, सत्य,और शांति को दर्शाती है। यह सफेद पट्टी विविध संस्कृतियों, धर्मों और भाषाओं के बीच सहयोग और एकता की आवश्यकता की पुकार थी जो देश में सह-अस्तित्व करती थी।
राष्ट्रीय ध्वज में हरा रंग ध्वज की निचली पट्टी पर है, जो विकास, पैदावार और ऊर्जा का प्रतीक है । यह भारतीय कृषि विरासत को प्रतिष्ठित करता है और देश की प्रगति की ओर मार्च को सूचित करता है।
लेकिन ध्वज अपूर्ण था बिना अपने केंद्रीय प्रतीक – अशोक चक्र के। यह अशोक चक्र में 24 तीलिया है जो एक दिन के 24 घंटो को दर्शाता है जिसका मतलब है निरंतर कार्य करते रहने की प्रवत्ति मनुष्य में होना चाहिए | इसका उद्देश्य राष्ट्र के प्रगतिशील दिशा में अग्रसर होना हमारी मौजूदा पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।
यह चक्र हमें यह याद दिलाता है कि जैसे जीवन का चक्र निरंतर बदलता रहता है, वैसे ही राष्ट्र का भी सतत विकास और प्रगति का पथ अनवरत रहना चाहिए।
अशोक चक्र में 12 तिल्लिया दुःख को तो 12 तिल्लिया दुःख से मुक्ति / सुख को दर्शाती है इसका अर्थ है की मानव जीवन निरंतर बदलता रहता है | सम्राट अशोक बोद्ध धर्म के अनुयायी थे और अशोक चक्र बोद्ध धर्म के धर्म चक्र को दर्शाता है |
Indian National Flag related committee in 1947 :
1947 में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संबंधित समिति 1947 में, भारत की स्वतंत्रता के पास आते समय, भारतीय संविधान सभा ने एक महत्वपूर्ण समिति की स्थापना की जिसका उद्देश्य था राष्ट्रीय ध्वज के अंतिम डिज़ाइन को तय करना।
इस समिति का नेतृत्व डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा किया गया था, और इसमें प्रमुख कलाकार और स्वतंत्रता सेनानियों में से कई शामिल थे जैसे कि सर्वेपल्ली राधाकृष्णन, के. एम. मुंशी, और बी. आर. आंबेडकर।
यह समिति ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण यात्रा को समझते हुए उस समय की मानसिकता और विचारधारा को ध्यान में रखकर ध्वज के डिज़ाइन को चयन किया। इस प्रक्रिया से ही भारतीय ध्वज को एक प्रतीक नहीं, बल्कि एक आदर्श और एक आत्मघाती समर्पण की भावना के साथ तेयार किया गया।
इस प्रकार, 22 July1947 को राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित विशेष समिति ने भारतीय ध्वज के डिज़ाइन की अंतिम रूपरेखा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस समिति की संदर्भनीय भूमिका ने भारतीय ध्वज को न केवल एक रंगीन टुकड़े के रूप में बल्कि राष्ट्रीय गरिमा और एकता के प्रतीक के रूप में बदल दिया। इस रूप में, 1947 में बनी ध्वज संबंधित समिति ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण चरण को प्रतिष्ठित किया, जिसके परिणाम स्वरूप आज यह ध्वज भारतीय संस्कृति, एकता और गरिमा का प्रतीक है।
Indian National Flag Code 2002 | भरतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता 2002 :
“भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता 2002: गरिमा और सम्मान की दिशा”
2002 में भारत सरकार ने “भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता” प्रस्तुत की, जिसका उद्देश्य ध्वज के सम्मानित और योग्यतापूर्ण प्रदर्शन की दिशा में दिशा निर्देशित करना था।
यह संहिता ध्वज की महत्वपूर्णता को बढ़ावा देने और ध्वज से सम्बंधित दिशा -निर्देश प्रदान करती है।
महत्वपूर्ण विशेषताएँ:
ध्वज के आकार और अनुपात: संहिता में ध्वज के आकार, अनुपात और अन्य आवश्यक विवरणों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का सही आकार 2:3 होना चाहिए |
ध्वज के सही प्रदर्शन: संहिता में ध्वज के सही और योग्य प्रदर्शन के लिए निर्देश दिए गए हैं, जैसे कि वायुमार्ग पर ध्वज की सही उच्चता, विभिन्न स्थलों पर उसकी प्रतिष्ठा आदि।
ध्वज का सम्मान: संहिता में ध्वज के सम्मान का मार्गदर्शन भी दिया गया है।
ध्वज को उतारना और सहेजना के नियम : संहिता में ध्वज के सम्मान के लिए उसे उतारने और संभालने की सही विधियाँ व्यावसायिक रूप से प्रस्तुत की गई हैं। जैसे की शाम को सूर्यास्त के पहले उतारना और सफ़ेद कपडे में साफ़ जगह पर रखना चाहिए आदि नियम ध्यान रखना चाहिए |
उद्देश्य: भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता 2002 में ध्वज को एक गरिमान्वित और प्रतिष्ठित प्रतीक बनाने के लिए निर्देश प्रदान किए। यह संहिता हमें ध्वज की महत्वपूर्णता और सम्मान को सुनिश्चित करने का मार्ग दिखाती है, और उसे एक एकत्रित राष्ट्रीय उपकरण के रूप में स्थापित करती है।
Indian National Flag code Amendment 2022 | भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता 2022 :
भारत सरकार ने जुलाई 2022 में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता 2002 में बदलाव किये है जिससे अब यदि किसी खुले स्थान या आम जनता के घर में यदि कोई झंडा फहराना चाहता है तो वह कभी भी फहरा सकता है चाहे दिन हो या रात, इसके पहले केवल सूर्योदय के बाद व सूर्यास्त के पहले तक ही ध्वज फहराने की अनुमति थी |
इस नियम में बदलाव करने का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे अभियान हर घर तिरंगा को सफल बनाया जा सके | हर घर तिरंगा अभियान भारत की आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने की ख़ुशी में भारत की आम जनता को भी इस अवसर पर अपने देश के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए प्रेरित करना है |
मेरी माटी मेरा देश अभियान 2023 | meri maati mera desh abhiyaan 2023 :
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जुलाई में अपने मन की बात कार्यक्रम में मेरी माटी मेरा देश अभियान 2023 का जिक्र किया था | मेरी माटी मेरा देश अभियान 9 अगस्त से 15 अगस्त तक चलेगा जिसके तहत सम्पूर्ण भारत के सभी गावो, पंचायतो, नगरो में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे जिसका उद्धेश्य भारतीय स्वतंत्रता के क्रांतिकारियों और देश के अमर शहीदों के प्रति सम्मान प्रकट करना है |
साथ ही इस वर्ष भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की जनता से अपील की है की वे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर तिरंगे की dp और प्रोफाइल पिक्चर लगाये | वर्त्तमान में भारत की एक बड़ी आबादी इन्टरनेट पर सक्रीय है एसा करने से हम दुनिया भर में अलग पहचान बनायेंगे |
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भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता में 2022 में क्या परिवर्तन किये गए |
भारत सरकार ने जुलाई 2022 में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता 2002 में बदलाव किये है जिससे अब यदि किसी खुले स्थान या आम जनता के घर में यदि कोई झंडा फहराना चाहता है तो वह कभी भी फहरा सकता है चाहे दिन हो या रात, इसके पहले केवल सूर्योदय के बाद व सूर्यास्त के पहले तक ही ध्वज फहराने की अनुमति थी | हालाँकि सरकारी कार्यालय, स्कूल, संस्थानों के लिए अभी भी पुराना नियम ही मान्य होगा |
मेरी माटी मेरा देश अभियान 2023 क्या है |
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जुलाई में अपने मन की बात कार्यक्रम में मेरी माटी मेरा देश अभियान 2023 का जिक्र किया था | मेरी माटी मेरा देश अभियान 9 अगस्त से 15 अगस्त तक चलेगा जिसके तहत सम्पूर्ण भारत के सभी गावो, पंचायतो, नगरो में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे जिसका उद्धेश्य भारतीय स्वतंत्रता के क्रांतिकारियों और देश के अमर शहीदों के प्रति सम्मान प्रकट करना है |
What is meri maati mera desh campaign 2023?
meri maati mera desh campaign is started by prime minister narendra modi. In this campaign different cultural and other events will be performed in all India village panchayat and block level from 9 august to 15 august 2023 to celebrate 77th india independence day.