विश्व आदिवासी दिवस

हर साल 9 अगस्त को  विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है इसे International Day for Indigenous People के नाम से भी जाना जाता है 

यह दिन विश्वभर में आदिवासी समुदायों के अधिकारों, संरक्षण और उनकी सशक्तिकरण की सशक्त मांग को प्रोत्साहित करने और उनके संरक्षण, समृद्धि और समानता की दिशा में जागरूकता फैलाने का माध्यम बनता है। 

यह दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1994 में घोषित किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा और समृद्धि के लिए संघर्ष करना था।

इस वर्ष विश्व आदिवासी दिवस की थीम है   "Indigenous youth as agents of change for self-determination"  जो की आदिवासी युवाओ अपने समाज की परम्परा संस्कृति को बचाए रखने के लिए प्रेरणा देना  है

इस दिन के अवसर पर, विभिन्न क्षेत्रों में सेमिनार, संगोष्ठियाँ, कार्यशालाएं और शिक्षाप्रद कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो आदिवासी समुदायों की समस्याओं, अधिकारों और जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करते हैं

आदिवासी समुदायों की जीवनशैली और संस्कृति उनके विशेष परिवेश, प्राकृतिक संसाधनों के साथ जुड़ी होती है। उनका जीवन संगीत, नृत्य, किसानी, और उनकी परंपरागत उपचार विधियों में आदि में महत्वपूर्ण होता है

भारत में भी आदिवासी समुदायों का महत्व अत्यधिक है। ये समुदाय देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनके जीवनशैली, भाषा, संगीत और कला उनकी अनूठापन को प्रकट करते हैं।

विश्व के आदिवासी जनजातियों का अंतरराष्ट्रीय दिवस" आदिवासी समुदायों के आवाज को सुनने और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।